आरक्षण की आग बुझाओ!

पटेल आरक्षण की आग में पूरा गुजरात तप रहा है; मगर उसकी लपटें देश के अन्य सामान्य से लेकर पिछड़े वर्गों को आन्दोलन के लिये उत्तेजित कर रही होंगी|

आरक्षण का उद्भव संविधान निर्माताओं के मन में, समाज के हर वर्ग को समाज की मुख्य धारा में लाना रहा होगा|

आज आरक्षण समाज में विषमता और वैमनस्य की जन्म देते हुये, राजनीति के आंगन में विषबेल की तरह फैलता जा रहा है| समाज को, धर्मके नाम पर, जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति के नाम पर,पहले से भी अधिक बंटता ज्रहा है|

स्वार्थ के लोभ में, सरकारी नौकरियों में आरक्षण की आग भड़काना देशद्रोह जैसा घृणित कार्य है|

गरीबी, किसी जाति विशेष के लोगों में ही हो ऐसा कदापि नहीं है| आरक्षण केवल गरीब को मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का हो, आर्थिक आधार पर आरक्षण|

यही एकमात्र समाधान है, असमानता और असंतोष को मिटाने का| वरना किसको किसको आरक्षण देंगे?

राजनीति बंद कर, राजनैतिक इच्छाशक्ति का इस्तेमाल कर, मोदी सरकार को, लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की तर्ज पर, आरक्षण समाप्त कर, जनहित और राष्ट्र हित में, आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू कर देना चाहिये|

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