अब तो दादुर बोलिहें, हमें पूछिहे कौन?
सत्ता को पाकर गुर्राना,
कैसा चेहरा, कैसी चाल?
लेखक सारे हैं उद्द्वेलित,
वापस देते हैं सम्मान,
सत्ता को दिखती राजनीति,
उल्टे सीधे दे रहे बयान,
लगी आग में घी बरसाना,
कैसा चेहरा कैसी चाल?
सत्ता मद में यूं बौराना,
चूर हुआ जनता का सपना,
मोदी क्यूँ अब मौन हो गये़?
और लगे दादुर टर्राने,
जनता करती आज सवाल,
कैसा चेहरा, कैसी चाल?
नहीं चाहिये ऐसे अच्छे दिन,
मुर्गा सस्ता, मंहगी दाल,
जनता पीती, खून के आँसू,
गौहत्या पर रोज बवाल,
भूल गये सब अपने वादे,
कैसा चेहरा, कैसी चाल?
कल तक मनमोहन का मौन,
छीन रहा था, जनता का चैन,
अब तो मोदी की जबान पर,
लगा हुआ हो जैसे बैन,
जनता पूछे यही सवाल,
कैसा चरित्र, कैसी चाल?
हिन्दू धर्म की अस्मिता की रक्षा करें!
हिन्दू धर्म के मतावलम्बियों की धर्म के प्रति आस्था व्यक्त करने की स्वतंत्रता ने हमारे देवी देवताओं को कभी बीड़ी के बण्डल पर, तो कभी अगरबत्ती के पैकेट पर छापने की स्वतंत्रता दे दी है|
हिन्दू धर्म की विखण्डित धर्म सत्ता का ही यह परिणाम है कि हजारों देवी देवता, सैकड़ों मत मतान्तर एक दूसरे को चुनौती देते, यहॉं तक कि हमारी अटूट श्रद्धा के केन्द्र भगवान राम और कृष्ण को भी चुनौती देने वाले मत, इस देश में मान्यता प्राप्त हैं|
शैव, वैष्णव और शाक्तों के आपसी मतभेद को मिटाने का प्रयास करने वाले आदिगुरू शंकराचार्य ने चार धाम की स्थापना करके हिन्दू धर्म को एकजुट करने में अद्वितीय सफलता पाई थी|
परन्तु आज हमारे धर्म ने जो आधुनिक और व्यावसायिक रूप लेना आरम्भ किया है, वह चिन्ता और सोच का विषय है|
Note : हिन्दू देवी देवताओं के व्यावसायिक प्रयोग एवं फैशन के नाम पर कभी वस्त्रों पर उनके चित्र बनाना, कभी शरीर पर उनके चित्रों के टैटू बनवाने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये|
धर्म का मज़ाक सहने की यह उदारता और सहनशीलता हमारे देवी देवताओं के अपमान का कारण तो बन ही रही है; बल्कि यह समूची हिन्दू सभ्यता के मुंह पर करारा तमाचा है|
सबसे बड़ी बात यह है कि वैलेन्टाइन डे पर हंगामा करने वाले, हिन्दुत्व के कथित ठेकेदार संगठन ऐसे विषयों पर कभी अपनी गंभीर और सतत प्रतिक्रिया नहीं देते, और इन विषयों पर भाजपा कभी अपनी संम्वेदना नहीं प्रदर्शित करती, स्वयं सेवक संघ का स्वाभिमान आहत क्यों नहीं होता, यह अन्वेषण का विषय प्रतीत होता है|
मेरी सभी बुद्धिजीवी हिन्दू भाई बहनों से अपील है कि
1. वे अपने परिवार और समाज में प्रतिवर्ष दीपावली के अवसर पर पुराने गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा को अपने ही घर मे सम्मानपूर्वक उच्च स्थान प्रदान करें|
2. पुराने धर्मग्न्थों गीता रामायण को कबाड़ी के हाथ बेच कर उनका अपमान न करें,
3. शादी विवाह के अवसर पर, शादी के कार्ड पर देवी देवताओं के चित्र न छपवायें एवं
4. शादी के कार्डों में पवित्र श्लोक न छपवायें तो शायद इससे गणेश जी की कृपा अधिक मिलेगी|
5. क्योंकि जब कार्ड कूड़े के ढेर पर फेंका जाता है तो उसमें छपे देवी देवताओं के अपमान का दोष किस पर आता है, क्या आपने कभी सोचने का प्रयास किया| आपके घर में आने वाले कार्डों का आप क्या करते हैं?
6. कम से कम देवी देवताओं के चित्र काट कर, किसी एक कापी में चिपका कर, उनका अपमान होने से बचा सकते हैं|